चितचोर है वो मनमोहन मुरारी
चितचोर है वो मनमोहन मुरारी
ऐसी प्रीत लगाई, हो गयी मै
तो उनकी दिवानी ।। धृ ।।
सावला उनका रंग ओर
नैन है उनके कजरारे
देख के मै तो, खोयी अपनी
सुदबुद सारी ।। 1 ।।
ले के हाथ मे बासुरीया
बजाते है बनसी, वो नटखट
कन्हैया
उनकी बासुरी की धुन मे, हो गयी मै
तो बावरी ।। 2 ।।
जपु मै दिनरात उनकी ही माला
ना हो मुझे दुनिया की कोई
फिकर
उनके चरणो मे रख
दू, मै अपना सारा जीवन ।। 3 ।।
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